
पिथौरा : राष्ट्रीय राजमार्ग 53 फोर लाईन में स्थित भगत देवरी से 2 किलोमीटर दूर ग्राम ढाबाखार में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर तीन दिवसीय मेला दहीकांदो पर्व का आयोजन बड़े धूमधाम से किया गया। आपको बता दें कि यह कार्यक्रम पिछले 20 वर्षों से चलते आ रहा है। प्रथम दिवस श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन महिलाएं उपवास रखते हैं शाम को सभी महिलाएं ग्राम के बीच गली में एकत्र होकर भजन कीर्तन करती हैं वहीं पंडित द्वारा श्री कृष्ण जन्म कथा का गायन किया जाता है जैसे ही कथा के दौरान श्री कृष्ण का जन्म का अवसर आता है वहां बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालु बाजे गाजे व आतिशबाजी के साथ भगवान श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाते हैं। इस वर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर किशनपुर के बालिका मंडली द्वारा कीर्तन बैठकी का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम में सभी मंत्रमुग्ध होकर इसका आनंद लिए। प्रत्येक दिवस रात्रि में ग्राम के डीपापारा में नवरंगपुर उड़ीसा से आये नेत्रहीन कलाकारों द्वारा जीवन नेत्रहीन भजन संध्या का संगीतमय प्रस्तुति को सुनकर व देखकर दर्शक भाव विभोर हो उठे तथा स्वस्फूर्त होकर दान भी दिये. द्वितीय व तृतीय दिवस दोपहर बाद धामनघुटकुरी व बान्दुपाली के बाहक नृत्य दल के कलाकारों द्वारा बहुत ही सुंदर ढंग से एक साथ गायन, वादन और नृत्य के द्वारा दर्शकों को झूमने के लिए विवश कर दिया। तृतीय और अंतिम दिवस दोपहर बाद जंवारा विसर्जन किया जाता है। जंवारा (भोजली) के माध्यम से प्रति वर्ष भोजली (मितान) बिठा कर दो अलग अलग इंसान में रिश्तों की मिठास घोलकर दो परिवारों को संवेदनात्मक ढंग से जोड़ने का प्रयास किया जाता है, जो इस क्षेत्र के लिए अनुकरणीय है। उसके पश्चात छ. ग. के विभिन्न जिलों व दूरदराज से आये यादव समाज के युवा एक से एक हैरत अंगेज करतब दिखाकर तथा छत्तीसगढ़ी वेश भूषा व पारंपरिक ढंग से सज धज कर राउत नाचा लोक नृत्य के माध्यम से गाजा बाजा के साथ लोगों का स्वस्थ मनोरंजन करते हैं । शाम को गांव के प्रमुख चौक में दही हांडी फोड़ व नारियल खींचने का प्रतियोगिता आयोजित किया जाता है जिसमें दूर दराज के युवा बड़ी संख्या में भाग लेते हैं। विजेता को आकर्षक पुरस्कार भी प्रदान किया जाता है। इस वर्ष विशेष रूप से आमंत्रित अतिथियों के स्वागत के लिए ढोल नगाड़ों की भी ब्यवस्था की गई थी।इस मेले में विभिन्न प्रकार के झूला जैसे ब्रेक डांस झूला, सुपर ड्रेगन ट्रेन, मिकी माउस आकर्षण के केंद्र रहे। इस प्रकार इस तीन दिवसीय दही कांदो पर्व में दोपहर बाद गांव की गलियां लोगों की भीड़ में इतनी भर जाती है कि गली से लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। इसके बावजूद फिर भी शांतिपूर्ण ढंग से ग्रामीणों की सुरक्षा ब्यवस्था के कारण यह दही कांदो पर्व सफलता पूर्वक संपन्न हो जाता है।



