श्रावण के माह में शिव जी पर क्यों चढ़ाया जाता है दूध, जानिए इसके वैज्ञानिक और पौराणिक मान्यता ।

मान्यता के अनुशार बरसात की पहली बारिश दूषित होती है। इससे सेहत को नुकसान पहुंच सकता है। एलर्जी या हेल्थ से जुड़ी समस्या हो सकती है क्यो की पहली बारिश में ज्यादा देर पानी में भीगने से यूटीआई इंफेक्शन भी हो सकता है और स्वास्थ्य से जुड़ी हुई समस्यांए हो सकती है , विशेषज्ञों की मानें तो पहली बारिश के पानी में भीगने से बचना चाहिए क्योंकि उसमे थोड़ा बहुत विष की मात्रा होता है
और उस विष युक्त पानी से पहले घास उगता है जिसे गाय खाकर दूध देती है जब गाय विष वाली घास खाएगी तो विष भरा ही दूध देगी और उस विष वाली दूध को मनुष्य पियेगा तो बीमार पड़ जायेगा और दूध पवित्र होता है उसे फेकना अपराध होगा इसलिए विचार किया गया की समुद्र मंथन के समय भगवान शिव ने विष का सेवन किया था तो क्यों न विष के पीने वाले महाकाल को दूध चढा दिया जाए तब से प्रत्येक श्रावण के माह में भगवान पर दूध चढ़ाने का नियम बन गया ।
पौराणिक मान्यता
मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जो विष निकला था, वह संसार के लिए बेहद खतरनाक था. जिसका पान भगवान शिव ने कर लिया था. विष पीने की वजह से भगवान शिव का शरीर जलने लगा. तभी वहां उपस्थित सभी देवताओं ने उनके ऊपर जल चढ़ाना शुरू किया, लेकिन कोई ज्यादा असर नहीं हुआ. तभी सारे देवताओं ने भगवान शिव से दूध ग्रहण करने का आग्रह किया. दूध पीने से भगवान शिव पर विष का असर कम हो गया और भगवान शिव का शरीर जलने से बच गया. उसी समय से भगवान शिव पर दूध अर्पित करने की परंपरा आरंभ हुई.
हर हर महादेव
✍️ रामाचार्य जी महाराज